व्यंग्य बैंगन का भुरता बनाम सत्ता का जहर February 9, 2014 by जगमोहन ठाकन | 1 Comment on बैंगन का भुरता बनाम सत्ता का जहर – जग मोहन ठाकन- गुरूजी प्रवचन करके जैसे ही घर पर लौटे तो देखा कि बाहर कचरादानी में ताज़ा बैंगन का भुरता मंद-मंद मुस्करा रहा है ! रसोई द्वार पर पत्नी को देखते ही गुरूजी ने पूछा – देवी जी , यह जायकेदार बैंगन की सब्जी और कचरा दान में ? क्या जल गई […] Read more » satire on indian politics बैंगन का भुरता बनाम सत्ता का जहर