कविता भले की भलाई की कीमत नहीं होती March 18, 2021 / March 18, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment विनय कुमार विनायकजाने क्यों ईमानदार के चेहरों पर,सदा परेशानी पसरी-पसरी रहती है! परलोक की अप्सरा हूर लगती है,बेईमान का चेहरा लगता नूरानी है! क्यों सरकारी दफ्तर के अफसर से,जनता को बड़ी डर होने लगती है? देखते-देखते आंखें अभ्यस्त हो गई!इसमें किसी का कोई कसूर नहीं है! सदियों से जनता मजबूर लगती है,कुर्सी के आगे झुकी […] Read more » भले की भलाई की कीमत नहीं होती