कविता साहित्य
माँ सरस्वती
by डा.राज सक्सेना
कण-कण तन का उज्ज्वल करदे | एक नवल तेज, अविकल करदे | माँ सरस्वती आ, कंठ समा, मन-मस्तक को अविरल करदे | वाणी में मधु की, धार बहा | हो सृजनशील, मस्तिष्क महा | हर शब्द बने, मानक जग में, हर रचना को, इतिहास बना | जन की जिव्हा पर, नाम चढ़े, […]
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