कविता मां June 8, 2015 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment -विजय कुमार सप्पाती- “माँ / तलाश” माँ को मुझे कभी तलाशना नहीं पड़ा; वो हमेशा ही मेरे पास थी और है अब भी .. ! लेकिन अपने गाँव/छोटे शहर की गलियों में , मैं अक्सर छुप जाया करता था ; और माँ ही हमेशा मुझे ढूंढ़ती थी ..! और मैं छुपता भी इसलिए था […] Read more » Featured कविता मां मां कविता मां पर कविता
कविता विविधा माँ April 22, 2015 / April 22, 2015 by कुलदीप प्रजापति | Leave a Comment -कुलदीप प्रजापति- जब से जन्मा हूँ माँ मैं तेरे द्वार पर, सारी दुनिया की मुझको ख़ुशी मिल गई। जब से खेला हूँ माँ मैं तेरी गोद में, स्वर्ग भू से भी बढ़कर जमीं मिल गई। तेरे आँचल से पी है जो बूंदें सभी, आज दूध की धाराएं अमृत बनी, जो मिले शब्द बचपन तुझसे […] Read more » Featured मां मां कविता