Tag: मूर्तिपूजा

धर्म-अध्यात्म

 “ईश्वरीय ज्ञान वेदों का पुनरुद्धार, देश को आजादी का मूलमन्त्र तथा सामाजिक न्याय का सिद्धान्त ऋषि दयानन्द की देन है”

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मनमोहन कुमार आर्य,  हम और सारा संसार ऋषि दयानन्द का ऋणी है। उनका ऋण ऐसा है कि जो कोई उतार नहीं सकता। उन्होंने संसार को सत्य ज्ञान दिया जो महाभारत युद्ध के बाद लुप्त होने के साथ अनेक विकृतियों से ग्रस्त हो गया था। वेदों के शुद्ध ज्ञान को प्राप्त करना सहज व सरल नहीं […]

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मूर्तिपूजा और जन्मना जाति प्रथा ईश्वरीय ज्ञान वेद के विरुद्ध और हिन्दू समाज के लिए हानिकारक

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मनमोहन कुमार आर्य मूर्तिपूजा से तात्पर्य ईश्वर की वैदिक शास्त्रों के अनुसार पूजा, ध्यान व स्तुति-प्रार्थना-उपासना न कर एक कल्पित पाषाण व धातु आदि की मूर्ति बना कर उसमें रूढ़ किये गये वैदिक व कुछ संस्कृत श्लोकों से प्राण-प्रतिष्ठा की कल्पना कर उसके आगे माथा टेकना, शिर झुकाना, भजन-कीर्तन करना, मूर्ति को मिष्ठान्न आदि का […]

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मूर्तिपूजा, तीर्थ व नामस्मरण का सच्चा स्वरूप और स्वामी दयानन्द

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–मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द न केवल वेदों एवं वैदिक साहित्य के विद्वान थे अपितु उन्हें पुराणों सहित सभी अवैदिक धार्मिक ग्रन्थों व पुस्तकों का भी तलस्पर्शी ज्ञान था। अपने इस व्यापक ज्ञान के कारण ही उन्होंने जहां वेदों का भाष्य किया और सत्यार्थ प्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका सहित संस्कार विधि आदि अनेक महत्वपूर्ण ग्रन्थों का प्रणयन […]

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धर्म-अध्यात्म

मूर्तिपूजा, तीर्थ हर की पैड़ी, एकसाथ खानपान और महर्षि दयानन्द

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महर्षि दयानन्द अपने जीवनकाल में देश के विभिन्न भागों में वेद प्रचारार्थ जाते थे और लोगों को उपदेश करते थे। वह प्रायः सभी स्थानों पर अपने कार्यक्रमों के विज्ञापन कराते थे जिसमें उपदेशों के अतिरिक्त शंका समाधान, वार्तालाप और शास्त्रार्थ करने का आमंत्रण हुआ करता था। उनके इन कार्यक्रमों में हिन्दूओं सहित सभी मुस्लिम व […]

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