कविता
मैं किताब हूं हां मैं किताब हूं
/ by विनय कुमार'विनायक'
—विनय कुमार विनायकमैं किताब हूं मुझे पढ़ लो,मैं वेद उपनिषद पुराण हूं,मैं अतीत हूं मैं वर्तमान हूं,मैं भविष्य का सद्ज्ञान हूं,मैं किताब हूं मुझे पढ़ लो! किताब में कुछ लिखी होती,किताब में कुछ खाली होती,खाली में विवेक से काम लो,लिखे को पढ़ो खाली भर दो,मनुष्य हो और मनुष्य बनो! मैं किताब हूं, सब को पढ़ा […]
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