कविता ये सन्नाटा है November 24, 2020 / November 24, 2020 by बीनू भटनागर | Leave a Comment भीतर कोलाहल हैबाहर सन्नाटा है।ग़म हो या हो ख़ुशीकौन किसके घर जाता है।आभासी आधार लियेसबसे नाता है।सभी बहुत एकाकी हैं,औरइस एकाकीपन मेंशाँति नहीं ,बस सन्नाट्टा है।हर इंनसान ज़रा साघबराया है,कभी कोई भी मिल जाये तोडर जाता है,कहीं किसी कोविड वाले से,क्या उसकाकोई नाता है।काम ज़रूरी करने होवो करता है,जीविका चलाने को अबजीता या फिर मरता […] Read more » ये सन्नाटा है