धर्म-अध्यात्म अद्वितीय महापुरुष योगेश्वर कृष्ण का जीवन प्रेरक एवं अनुकरणीय है July 6, 2020 / July 6, 2020 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का जन्म आत्मा की उन्नति के लिये होता है। आत्मा की उन्नति में गौण रूप से शारीरिक उन्नति भी सम्मिलित है। यदि शरीर पुष्ट और बलवान न हो तो आत्मा की उन्नति नहीं हो सकती। आत्मा के अन्तःकरण में मन, बुद्धि, चित्त एवं अहंकार यह चार अवयव व उपकरण होते […] Read more » योगेश्वर कृष्ण
धर्म-अध्यात्म “चंचला लक्ष्मी को वैदिक धर्म के प्रचार द्वारा श्री व यशस्वी रुप में बदलने का सत्कार्य महात्मा दीपचन्द आर्य ने किया” July 5, 2018 / July 5, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, भारत में मध्यकाल में देश में अविद्या छा जाने के कारण जो नाना अन्धविश्वास एवं कुरीतियां उत्पन्न हुईं उससे कई मत-मतान्तर उत्पन्न हुए और इनसे परस्पर वैर भावना में वृद्धि हुई। ऋषि दयानन्द ने अपने अथक परिश्रम से इसका कारण जाना और पाया कि वेदों में निहित सत्य ज्ञान को भूल जाने […] Read more » ‘आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट” ‘दयानन्द सन्देश’ Featured अद्वैतवाद एवं त्रैतवाद आर्य मान्यतायें काल अकाल मृत्यु जीवात्म-ज्योति भारत युगपुरुष राम योगेश्वर कृष्ण वैदिक मनोविज्ञान समीक्षा
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म योगेश्वर कृष्ण का युद्ध भूमि में अर्जुन को दिया गया आत्मज्ञान July 7, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment कृष्ण जी अर्जुन को कहते हैं कि तुझे अपने धर्म का विचार करके भी डरना नहीं चाहिये क्योंकि धर्मयुक्त युद्ध के अतिरिक्त क्षत्रिय का अन्य किसी प्रकार से कल्याण नहीं है। कृष्ण जी अर्जुन को यह भी समझाते हैं कि तू यह समझ कि तुझे अकस्मात् स्वर्ग का खुला हुआ द्वार मिल गया है। ऐसे युद्ध को तो सौभाग्यशाली क्षत्रिय पाते हैं। यदि तू इस धर्मयुक्त संग्राम को नहीं करेगा तो फिर अपने धर्म और यश को छोड़कर पाप को पायेगा। लोग तेरे अपयश की चर्चा सदा-सदा किया करेंगे। हे अर्जुन ! कीर्तिमान् की अपकीर्ति मौत से भी बढ़कर होती है। Read more » योगेश्वर कृष्ण