शख्सियत बालकवि बैरागी: बुझ गया ‘दीवट का दीप’ May 17, 2018 by ललित गर्ग | Leave a Comment ललित गर्ग दीये की बाती जलती है तब सबको उजाले बांटती है। बीज उगता है तब बरगद बन विश्राम लेता है। समन्दर का पानी भाप बन ऊंचा उठता है तब बादल बन जमीं को तृप्त करने बरसता है। ऐसे ही लाखों-लाखों रचनाकारों की भीड़ में कोई-कोई रचनाकार जीवन-विकास की प्रयोगशाला मेें विभिन्न प्रशिक्षणों से गुजरकर […] Read more » ‘गोगोला’ Featured आचार्य तुलसी जादू-टोना दो बूंद पानी’ पिताजी साहित्यकार बैरागीजी रचनात्मक वीर छत्रसाल समष्टिवाद
चिंतन व्यक्तित्व को ढालना है हमारे हाथ August 12, 2012 / August 12, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य व्यक्तित्व को ढालना है हमारे हाथ रचनात्मक बनायें या विध्वंसात्मक व्यक्तित्व का निर्माण व्यक्ति के अपने हाथ में होता है। इसे वह चाहे जिस साँचे में ढालने को स्वतंत्र है। वंशानुगत संस्कारों, पारिवारिक माहौल, मित्रों के संसार और परिवेश तथा परिस्थितियों आदि सभी प्रकार के कारकों का व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है। […] Read more » रचनात्मक विध्वंसात्मक