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राजनीति समाज

नये भारत के सुखद संकेत

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ललित गर्ग कोई भी राष्ट्र या समाज स्वयं नहीं बोलता, वह सदैव अपनी प्रबुद्ध प्रतिभाओं की क्षमता, साहस, योग्यता एवं विलक्षणता के माध्यम से बोलता है। बोलना, मात्र मुंह खोलना नहीं होता। बोलना यानि अपने राष्ट्र के मस्तक को ऊंचा करना है, सम्मानित करना है। जिस राष्ट्र, समाज, समूह या वर्ग का प्रबुद्ध तबका जागरूक […]

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