कविता साहित्य रामचरित April 4, 2017 by अरुण तिवारी | Leave a Comment अरुण तिवारी भजियो रामचरित मन धरियो तजियो, जग की तृष्णा तजियो। परहित सदा धर्म सम धरियो, मरियो, मर्यादा पर मरियो।। भजियो, रामचरित…. भाई संग सब स्वारथ तजियो संगिनी बन दुख-सुख सम रहियोे। मातु-पिता कुछ धीरज धरियो सुत सदा आज्ञा-पालन करियो।। भजियो रामचरित… सेवक सखा समझ मन भजियो शरणागत की रक्षा करियो। धोखा काहू संग मत […] Read more » रामचरित
कला-संस्कृति कविता रामचरित October 23, 2015 / October 23, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment धरियो, रामचरित मन धरियो तजियो, जग की तृष्णा तजियो। परहित सरिस धर्म मन धरियो मरियो, मर्यादा पर मरियो।। धरियो, रामचरित…. भाई बने तो स्वारथ तजियो संगिनी बन दुख-सुख सम धरियोे। मात बने तो धीरज धरियो पुत्र बने तो पालन करियो।। धरियो, रामचरित… सेवक सखा समझ मन भजियो ़शरणागत की रक्षा करियो। शत्रु संग मत धोखा […] Read more » रामचरित
दोहे रामचरित September 26, 2014 by अरुण तिवारी | Leave a Comment धरियो, रामचरित मन धरियो तजियो, जग की तृष्णा तजियो परहित सरिस धर्म मन धरियो।। मरियो, मर्यादा पर मरियो धरियो, रामचरित…. भाई बने तो स्वारथ तजियो संगिनी बन दुख-सुख सम धरियोे। मात बने तो धीरज धरियो पुत्र बने तो पालन करियो।। धरियो, रामचरित… सेवक सखा समझ मन भजियो शरणागत की रक्षा करियो। शत्रु संग मत धोखा […] Read more » रामचरित