रामचरित

0
225
ramधरियो, रामचरित मन धरियो
तजियो, जग की तृष्णा तजियो
परहित सरिस धर्म मन धरियो।।
मरियो, मर्यादा पर मरियो
धरियो, रामचरित….
भाई बने तो स्वारथ तजियो
संगिनी बन दुख-सुख सम धरियोे।
मात बने तो धीरज धरियो
पुत्र बने तो पालन करियो।।
धरियो, रामचरित…
सेवक सखा समझ मन भजियो
शरणागत की रक्षा करियो।
शत्रु संग मत धोखा करियो
पापी संग न्याय मन धरियो।।
धरियो, रामचरित…
लोकलाज ऊपर मन रखियो
लाभ-हानि-गुना मत करियो
मोह व्यापे तो राम मन भजियो
जनहित कारन सर्वस तजियो
धरियो, रामचरित….
डरियो, दुख आये मत डरियो
स्ंाग छूटे तो वियोग न करियो
मृत्यु आये तो स्वागत करियो
नहीं अकारथ कर्म, ये भजियो
धरियो, रामचरित….

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here