कविता राम हारे के हरिनाम जगत के त्राणकर्ता December 8, 2021 / December 8, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकराम बनो परशुराम क्यों बनते हो?वर्णवादी जाति वर्चस्व के नाम परक्यों किसी भी जाति को हनते हो?जाति वर्ण नहीं मानव से प्रेम कर! कोई भी नस्ल-वंश-गोत्र-जाति-प्रजाति,बुरे नहीं होते, बल्कि विशेष व्यक्ति,किसी की नजर में बुरे भले बंदे होते,मनुज जाति नहीं व्यक्तित्व से होते! जिससे तुम असहमत हो जाते हो,उनसे बहुत लोग सहमत हो […] Read more » राम हारे के हरिनाम जगत के त्राणकर्ता