राम हारे के हरिनाम जगत के त्राणकर्ता

—विनय कुमार विनायक
राम बनो परशुराम क्यों बनते हो?
वर्णवादी जाति वर्चस्व के नाम पर
क्यों किसी भी जाति को हनते हो?
जाति वर्ण नहीं मानव से प्रेम कर!

कोई भी नस्ल-वंश-गोत्र-जाति-प्रजाति,
बुरे नहीं होते, बल्कि विशेष व्यक्ति,
किसी की नजर में बुरे भले बंदे होते,
मनुज जाति नहीं व्यक्तित्व से होते!

जिससे तुम असहमत हो जाते हो,
उनसे बहुत लोग सहमत हो सकते,
किसी से मतभिन्नता के कारण से,
उनके वंश का नाश क्यों करते हो?

जिसको तुम जीवन नहीं दे पाते हो,
तो उनके भावी वंशानुगत पीढ़ियों के
तुम प्राण कैसे हरण कर सकते हो?
सबसे प्रेम करो पूर्वाग्रह को छोड़ के!

सबमें राम रमे हैं व रावण भी होते,
तुम अपने अंदर के रावण को मारो,
वो अपने अंदर के रावण को मारेंगे,
ऐसे सबके रावण स्वत: मिट जाएंगे!

सबके सब लोग राममय हो जाएंगे,
राम बनना है बड़ा हीं कठिन काम,
मगर परशुराम बनना बड़ा आसान,
फिर भी राम बनो परशुराम बेकाम!

किसी को जीवन देना होता मुश्किल,
किसी का जीवन हर लेना है आसान,
ऐसे में ठीक नहीं है बनना परशुराम,
परशुराम ने फैलाए जातिवादी पैगाम!

यह समय नहीं परशुराम बन जाने का,
कसम खाके किसी का वंश मिटाने का,
झूठी आन बान में जातिवाद बढ़ाने का,
जातिवाद को प्रश्रय दे वे नहीं भगवान!

परशुराम ने कर्ण को शापित किया था,
जबकि कर्ण ने कोई गुनाह नहीं किया,
वह अताताई राक्षस नहीं अब्राह्मण था,
उसे क्षत्रियत्व का भी अहसास नहीं था!

कर्ण ने अपनी निम्न जाति छुपाई थी,
यह जानके कि परशुराम थे जातिवादी,
ब्राह्मण के सिवा उन्हें सबसे घृणा थी,
परशुराम की कृति थी अमानुषिक वृत्ति!

परशुराम की सोच से हिन्दू नहीं उबरे,
जातिवाद से हम आज भी टूटे बिखरे,
परशुराम की सोच से हमनें भाई खोए,
परशुराम की सोच से हम एक ना हुए!

परशुराम की सोच से ये जातिवाद चला,
जातिवाद से हुआ नहीं है देश का भला,
जातिवाद को मिटाना है अति आवश्यक,
जातिवाद ने सदा से हिन्दुओं को छला!

ये समय परशु रहित राम हो जाने का,
ये समय जाति मिटा एक हो जाने का,
राम नहीं परशुराम सा सजाति वर्णवादी,
राम नहीं परशुराम सा दुर्मति अतिवादी!

केवट कोल भील वनवासी दलित सखा,
राम सनातन संस्कृति रक्षक, न्यायकर्ता
मानवतावादी वृहद भारत के राष्ट्र पिता,
राम हारे के हरिनाम जगत के त्राणकर्ता!

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