राजनीति पत्रकार पण्डित दीनदयाल जी ने दिया नया दर्शन October 16, 2017 by अनिल द्विवेदी | Leave a Comment दीनदयाल जी ने अपने राजनीतिक लेखों में एक नया वाद पैदा किया जिसे समन्वयवाद नाम दिया। राजनीतिक लिप्सा के आकांक्षी लोगों के लिए उन्होंने लिखा कि शिखर पर बैठने की इच्छा सबकी होती है मगर मंदिर के शिखर पर तो कौए भी बैठते हैं? हमें तो उस नींव का पत्थर बनने की आकांक्षा करनी चाहिए […] Read more » Featured जनसंघ पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जी प्रसिद्ध विचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी राष्ट्रवादी पत्रकारिता विकासवादी पत्रकारिता समन्वयवाद
मीडिया राष्ट्रवादी पत्रकारिता का दौर June 7, 2017 / June 23, 2017 by राजीव प्रताप सिंह | Leave a Comment भारत की अवधारणा एक ऐसे राष्ट्र की अवधारणा है जिसके लिए संघर्ष को निर्माण का आधार रूप में कभी स्वीकार नहीं किया गया. यहाँ आदि काल से ही चिंतन को प्राथमिकता दी गई और अनेकों भाषा, समुदाय, जाति इत्यादि के मष्तिष्क और शरीर यहाँ आएं और यहीं के होकर रह गए. ऐसे में सम्पूर्ण विश्वजगत […] Read more » Featured पत्रकरिता पत्रकरिता का मूल धर्म क्या राष्ट्रवादी पत्रकारिता सांस्कृतिक राष्ट्रवाद