कविता लपक लिए आम June 3, 2017 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment प्रभुदयाल श्रीवास्तव लपकी ने लपक लिए, थैले से आम। अम्मा से बोली है, आठ आम लूँगी मैं। भैया को दीदी को, एक नहीं दूँगी मैं। जो भी हो फिर चाहे, इसका अंजाम। न जाने किसने कल ,बीस आम खाये थे। अम्मा ने दिन में जो, फ्रिज में रखवाए थे। शक के घेरे में था, मेरा […] Read more » लपक लिए आम