कविता कविता : सलीब – विजय कुमार January 16, 2012 / January 17, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment सलीब कंधो से अब खून बहना बंद हो गया है … आँखों से अब सूखे आंसू गिर रहे है.. मुंह से अब आहे – कराहे नही निकलती है..! बहुत सी सलीबें लटका रखी है मैंने यारों ; इस दुनिया में जीना आसान नही है ..!!! हँसता हूँ मैं , कि.. […] Read more » Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें हिन्दी कविता
कविता कविता : परायों के घर – विजय कुमार January 16, 2012 / January 17, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | 2 Comments on कविता : परायों के घर – विजय कुमार परायों के घर कल रात दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई; सपनो की आंखो से देखा तो, तुम थी …..!!! मुझसे मेरी नज्में मांग रही थी, उन नज्मों को, जिन्हें संभाल रखा था, मैंने तुम्हारे लिये ; एक उम्र भर के लिये …! आज कही खो गई थी, वक्त के धूल भरे […] Read more » Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें हिन्दी कविता
कविता कविता : जानवर – विजय कुमार January 16, 2012 / January 17, 2012 by विजय कुमार सप्पाती | Leave a Comment जानवर अक्सर शहर के जंगलों में ; मुझे जानवर नज़र आतें है ! इंसान की शक्ल में , घूमते हुए ; शिकार को ढूंढते हुए ; और झपटते हुए.. फिर नोचते हुए.. और खाते हुए ! और फिर एक और शिकार के तलाश में , भटकते हुए..! और क्या कहूँ […] Read more » Hindi Poem poems by Vijay kumar कविता विजय कुमार विजय कुमार की कवितायें हिन्दी कविता