विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-52 October 15, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  दूध को जब तक आप बिना पानी मिलाये बेच रहे हैं, तब तक वह व्यवहार है, पर जब उसमें पानी की मिलावट की जाने लगे और अधिकतम लाभ कमाकर लोगों का जीवन नष्ट करने के लिए बनावटी दूध भी मिलावटी करके बेचा जाने लगे तब वह शुद्घ व्यापार हो जाता है। […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-51 October 15, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   (16) रैक्ण-वैध या लब्धव्य राशियों में से जो संशयित राशि है, अर्थात जिसकी प्राप्ति की आशा पर संशय है व रैक्ण कही जाती है। (17) द्रविण-उपार्जित राशि में से जो लाभराशि हमारे व्यक्तिगत कार्य के लिए है-उसे द्रविण कहा जाता है। (18) राध:-द्रविण में से जो भाग बचकर अपनी निधि […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-50 October 13, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य आज का अर्थशास्त्र इसे ‘ले और दे’ की व्यवस्था कहता है, पर वेद की व्यवस्था ले और दे (त्रद्ब1द्ग ड्डठ्ठस्र ञ्जड्डद्मद्ग) से आगे सोचती है। वह कहती है कि जिसने आपको जो कुछ दिया है उस देने में उसके भाव का सम्मान करते हुए उसे कृतज्ञतावश उसे लौटा दो। जिससे कि उसके […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-37 September 30, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  मनु महाराज के पश्चात प्रियव्रत ने अपने पुत्र आग्नीन्ध्र को जम्बूद्वीप (आज का एशिया महाद्वीप), मेधातिथि को प्लक्षद्वीप (यूरोप), वयुष्मान को शाल्मलिद्वीप (अफ्रीका महाद्वीप), ज्योतिष्मान को कुशद्वीप (दक्षिण अमेरिका), भव्य को शाकद्वीप (आस्टे्रलिया) तथा सवन को पुष्करद्वीप (अण्टार्कटिका महाद्वीप) का स्वामी या अधिपति बनाया। पुराणों की इस साक्षी से पता चलता […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-32 September 25, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य सभी मनुष्यों को यह अधिकार है कि बुद्घि पूर्वक अपने जीवनोद्देश्य का निर्धारण करे। अपनी सामाजिक, शारीरिक व आत्मिक उन्नति करे, साथ ही परोपकारी बने रहकर अन्य जीवों के कल्याण की योजनाओं में भी लगा रहे, विद्या प्राप्ति करे और अज्ञान से युक्त होकर अपनी शारीरिक रक्षा करने व भोजन वस्त्र […] Read more » Featured अष्टांगयोग कर्मफल व्यवस्था भारत भारत में कर्मफल व्यवस्था विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-29 September 22, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  आज की शिक्षा बच्चे को बड़ा होकर धनी बनाने के लिए दिलायी जाती है, जबकि भारत में इसके विपरीत था। यहां तो वेद (यजु. 2/33) की व्यवस्था है :- ”(विद्यार्थी के माता-पिता उसके गुरू से निवेदन कर रहे हैं) हे गुरूजनो! कमल पुष्प की माला पहने इस बालक को अपने गुरूकुल […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-28 September 20, 2017 / September 20, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   हर युग में और हर स्थिति-परिस्थिति में भारत के महान लोगों ने मानवतावाद को पुष्ट करने वाले चिंतन को प्रस्तुत किया और उसी के आधार पर लोगों को जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। जब तक भारत की ऐसी शिक्षा प्रणाली विश्व का मार्गदर्शन करती रही तब तक संसार में […] Read more » Featured India India as world leader पंथ भिन्नता भारत भारतीय शिक्षा नीति विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-27 September 19, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गुरूकुलों की परीक्षा प्रणाली हमारे यहां प्राचीनकाल में गुरूकुलों में विभिन्न परीक्षाओं की व्यवस्था की जाती थी। उन परीक्षाओं को आजकल की अंक प्रदान करने वाली परीक्षाओं की भांति आयोजित नहीं किया जाता था। उसका ढंग आज से सर्वथा विपरीत था। तब आचार्य अपने विद्यार्थियों की परीक्षा के लिए कई प्रकार […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-25 September 18, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   हमारे प्राचीन ऋषियों ने पशु-पक्षियों की अनेकों प्रेरणास्पद कहानियों का सृजन किया, और उन्हें बच्चों को बताना व पढ़ाना आरंभ किया। उसे बच्चे के मनोविज्ञान के साथ जोड़ा गया और परिणाम देखा गया कि बच्चों पर उसका आशातीत प्रभाव पड़ा। वेद और उपनिषदों की गूढ़ बातों को पशु-पक्षियों की कहानियों […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत विश्वगुरू भारत
समाज विश्वगुरू के रूप में भारत-26 September 15, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य यदि अस्पृश्यता आदि विकृतियां भारत की संस्कृति होतीं तो अलग-अलग कालखण्डों में आये अनेकों समाज सुधारकों को उनके विरूद्घ आवाज उठाने की ही आवश्यकता नहीं पड़ती, और ना ही उनके सत्कार्यों का इतिहास वन्दन करता। राष्ट्र सर्वप्रथम भारत में विद्यार्थियों के भीतर राष्ट्र सेवा का भाव जागृत करने के लिए राजा और […] Read more » India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-24 September 13, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  अपनी बात को मनवाने के लिए महर्षि दयानंद ने अंग्रेज सरकार को सितंबर 1874 में एक ज्ञापन दिया था। जिसमें उन्होंने आर्ष संस्कृत शिक्षा को भारत में पुन: लागू कराने का आग्रह सरकार से किया था। ज्ञापन में लिखा था-”इससे मेरा विज्ञापन है-आर्यावर्त देश का राजा अंग्रेज बहादुर से कि संस्कृत […] Read more » ' Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत विश्वगुरू भारत
विविधा विश्वगुरू के रूप में भारत-20 September 8, 2017 / September 8, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   भारत की 64 कलाएं प्रमुख मानी गयी हैं। इनके नाम हैं नृत्य कला, वाद्यों का निर्माण करने की कला, स्त्री पुरूष के परिधान एवं अलंकार पहनाने की कला, अनेक प्रकार के रूप धारण (बहुरूपिया होना) करने की कला, शय्या अर्थात बिस्तर (उपस्तरण से बना है बिस्तर) बिछाना और पुष्पों को […] Read more » Featured India India as world leader भारत विश्वगुरू विश्वगुरू के रूप में भारत