कविता पंछियों के मंत्र पाठ से प्रभात, मंगल-प्रभात होता: May 19, 2018 by डॉ. मधुसूदन | Leave a Comment डॉ. मधुसूदन (एक) एक चुनौती भरी कठिन प्रस्तुति: कवि की कल्पना कविकल्पना ही कहलाती है. कवि जो देखता है वो रवि भी नहीं देख सकता. एक ऐसी ही थोडी कठिन कविता प्रस्तुत करता हूँ. कुछ बौद्धिक व्यायाम होगा. पर बिना बौद्धिक व्यायाम वास्तव में मनोरंजन भी संभव नहीं होता. कुछ पाठक तो लाभान्वित होंगे […] Read more » आंँगन आँगनों गुरुकुल वृक्ष-झुण्ड वृक्षों वृक्षों शाख शाख