कविता वेदों का उपदेश यही April 2, 2013 / April 2, 2013 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment क्या आज कोई जगाएगा सचमुच मेरे मन का फाग। और देगा मुझे वो परिवेश जिसे कहूं मैं निज सौभाग्य।। सचमुच मैं रूष्ट हूं, असंतुष्ट हूं पर थका नही हूं। चरेवैति-चरेवैति कहता हूं पर अभी रूका नही हूं।। मंजिलें मेरी मोहताज हैं मैं मंजिलों का मोहताज नही, मैं सच कहता हूं ऐ दोस्तो जो कल था […] Read more » वेदों का उपदेश यही