धर्म-अध्यात्म ‘भारत में उत्पन्न सब लोगों को देश की उन्नति तन, मन व धन से करनी चाहिये’ November 21, 2018 / November 21, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, हम बहुधा देखते कि कुछ स्वदेशवासियों व संस्थाओं में स्वदेश भक्ति कम है अथवा नहीं है। देश और मातृभूमि को सबसे ऊंचा व बड़ा नहीं माना जाता। ऐसे भी लोग हैं जो विदेशी मत-मतान्तरों व उनके अनुसार जीवन जीने में ही अपने को गौरवान्वित अनुभव करते हैं। ऐसे लोगों का आचार, विचार […] Read more » आर्याभिविनय उपनिषद ऋग्वेदादिभाष्य दर्शन प्रक्षेपरहित वेद सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म “अविद्या से रहित तथा विद्यायुक्त एकमात्र ग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश” October 27, 2018 / October 27, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, महाभारत काल के बाद से पूरे विश्व के अध्यात्म एवं सामाजिक जगत में घोर अविद्या फैली हुई है। मनुष्य को अपनी आत्मा सहित ईश्वर के सत्यस्वरूप का ज्ञान नहीं है। उसे अपने परिवार व समाज के प्रति भी अपने कर्तव्यों का ज्ञान नहीं है और न उसे यह पता है किससे क्या […] Read more » ईश्वर ईश्वर का स्वरूप ईश्वर के कार्य ईश्वर के गुण ईश्वरीय ज्ञान उपनिषद कर्म और स्वभाव दर्शन मनुस्मृति वेद
धर्म-अध्यात्म “वेद, ईश्वर, जीवात्मा और प्रकृति के सत्य स्वरुप का प्रचार करने से आर्यसमाज मुझे प्रिय है” August 11, 2018 / August 11, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, संसार में सत्य और असत्य तथा विद्या और अविद्या का अस्तित्व है और मनुष्य को दोनों का ज्ञान होना चाहिये। यदि हमें पता हो कि सत्य क्या है और विद्या क्या है तो हम उसके विपरीत व उल्टे असत्य व अविद्या को भी समझ सकते हैं। मनुष्य के मन में अनेक बार […] Read more » Featured आर्यसमाज वेदों ईश्वर ऋषि दयानन्द धार्मिक व सामाजिक मनुष्य व प्राणी वेद संसार
धर्म-अध्यात्म “देश में जन्मना जाति व्यवस्था 1350 वर्ष पूर्व आरम्भ हुई” August 3, 2018 / August 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, वेद मनुष्य के गुण, कर्म व स्वभाव को महत्व देते हैं। जो मनुष्य श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव वाला है वह द्विज और जो गुण रहित है उसे शूद्र कहा जाता है। द्विज ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य को कहते हैं जो गुण, कर्म व स्वभाव की उत्तमता से होते हैं। […] Read more » 1350 वर्ष पूर्व आरम्भ हुई” Featured आचार्य ईश्वर ऋषि दयानन्द चाणक्य देश में जन्मना जाति व्यवस्था धर्म पिता पूर्व परजन्म ब्राह्मण माता मुक्ति विद्या वेद सत्संग
धर्म-अध्यात्म “ऋषि दयानन्द का वर्ण व्यवस्था पर महत्वपूर्ण उपदेश” July 17, 2018 / July 17, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment –मनमोहन कुमार आर्य, ऋषि दयानन्द ने अपने विश्व प्रसिद्ध ‘सत्यार्थप्रकाश’ ग्रन्थ में वर्ण व्यवस्था पर विस्तार से प्रकाश डाला है और वेदानुकूल ग्रन्थों के बुद्धि व तर्क संगत प्रमाण भी दिये हैं। हम यहां सत्यार्थप्रकाश के चतुर्थ समुल्लास से उनके कुछ विचारों को प्रस्तुत कर रहे हैं। वह लिखते हैं कि जो शूद्र कुल में […] Read more » Featured आचार्य ईश्वर ऋषि दयानन्द धर्म पिता पूर्व जन्म माता मुक्ति विद्या वेद सत्संग
धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्म और आर्यसमाज को समर्पित आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री’ May 22, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री जी के व्यक्तित्व व कृतित्व से समूचा आर्यजगत एवं विद्वतजन परिचित हैं।आप बहुप्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी वैदिक विद्वान हैं। बचपन में ही आपने पाणिनी अष्टाध्यायी व धातुपाठ पुस्तकों को कण्ठ कर लिया था। आपकी शिक्षा दीक्षा वैदिक गरुकुल, आमसेना (उड़ीसा) में हुई है। आपने एम.ए. संस्कृत की परीक्षा र्वाधिक […] Read more » Featured अमेरिका आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री ईश्वर ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज कनाडा नेपाल मॉरीशस यूरोप वेद
धर्म-अध्यात्म “ईश्वर, वेद, आर्यसमाज और ऋषि भक्त पं. सत्यपाल पथिक – एक समर्पित प्रेरणादायक जीवन एवं उनके कुछ कार्य” May 21, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, पं. सत्यपाल पथिक जी आर्यजगत की दिव्य एवं महान विभूति हैं। आपने सारा जीवन आर्यसमाज की सेवा में लगाया है। आपने ईश्वर, वेद, ऋषि दयानन्द, आर्यसमाज और आर्य महापुरुषों के जीवन पर सहस्रों प्रभावशाली गीतों वा भजनों की रचना की है। आपके गीत व भजन न केवल आर्यसमाज के भजनोपदेशक […] Read more » Featured आर्य धर्मार्थ न्यास आर्यसमाज ईश्वर ऋषि दयानन्द पं. सत्यपाल पथिक वेद हिण्डोन सिटी
धर्म-अध्यात्म वेद और तर्क पूर्ण सत्य मान्यताओं से युक्त आचरण ही मनुष्य धर्म April 3, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य का धर्म क्या है? इसका उत्तर है कि अपने पूरे जीवन में सत्य ज्ञान की खोज करना व तर्क व युक्ति से सिद्ध ज्ञान व कर्मों का ही आचरण करना मनुष्य का सच्चा धर्म है। संसार में प्रचलित मत-मतान्तरों व धर्मों में यह धर्म कौन सा है? इसका उत्तर है कि […] Read more » Featured Vedas and logic Vedas and logic are the conduct of man's religion with complete true beliefs वेद वेद और तर्क पूर्ण सत्य मान्यता
धर्म-अध्यात्म सत्संग का उत्तम साधन वेद, सत्यार्थप्रकाश आदि का स्वाध्याय February 10, 2018 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य को अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सत्संग की आवश्यकता होती है। सत्संग का अभिप्राय है कि हम जीवन को सुख, समृद्धि व सफलता आदि प्राप्त करने के लिए सत्य को जानें। यदि हमें सत्य का ज्ञान नहीं होगा तो हम सही निर्णय नहीं ले सकेंगे। हो […] Read more » Featured knowledge of Vedas Satyartha Prakash The best means of satsang वेद सत्यार्थप्रकाश सत्संग का उत्तम साधन
धर्म-अध्यात्म ईश्वर और वेद का मनुष्य जीवन में महत्व December 10, 2017 / December 11, 2017 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on ईश्वर और वेद का मनुष्य जीवन में महत्व -मनमोहन कुमार आर्य, मनुष्य को मनुष्य जीवन ईश्वर से मिला वरदान है। ईश्वर और जीवात्मायें संसार में अनादि काल से विद्यमान हैं। इसी कारण से ईश्वर ने अनादि कारण जड़ पदार्थ मूल प्रकृति से इस सृष्टि को जीवात्माओं के सुख के लिए रचा है। मनुष्य व अन्य प्राणियों को जो दुःख प्राप्त होते हैं वह […] Read more » importance of god in human life importance of vedas in human life ईश्वर ईश्वर और वेद का मनुष्य जीवन में महत्व ईश्वर का मनुष्य जीवन में महत्व मनुष्य जीवन में महत्व वेद
धर्म-अध्यात्म वेद सृष्टिकर्ता ईश्वर से ही उत्पन्न हुए हैं December 2, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य, संसार में दो प्रकार की रचनायें हैं। प्रथम अपौरुषेय कहलाती हैं जिन्हें कि मनुष्य व मनुष्य समूह मिलकर भी निर्मित नहीं कर सकते। दूसरी रचनायें मनुष्यों द्वारा अपनी बुद्धि में निहित ज्ञान व शारीरिक बल व सामर्थ्य का प्रयोग करके की जाती हैं। सूर्य, चन्द्र, पृथिवी एवं पृथिवीस्थ सभी पदार्थ तथा यह […] Read more » vedas वेद
धर्म-अध्यात्म भाषा, ज्ञान और धर्म का आदि स्रोत वेद November 25, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आज संसार में अनेक भाषायें और अनेक मत-मतान्तर प्रचलित हैं। मत-मतान्तरों को ही लोग धर्म मानने लगे हैं जबकि इन दोनों में अन्तर है। मत-मतान्तर इतिहास के किसी काल विशेष में किसी मनुष्य विशेष द्वारा वा उसके बाद उसके अनुयायियों द्वारा उसके नाम पर उनकी मान्यताओं के आधार पर चलाया जाता है […] Read more » ज्ञान धर्म का आदि स्रोत वेद भाषा वेद