कविता पानी प्रणय पक्ष April 24, 2018 by अरुण तिवारी | 1 Comment on पानी प्रणय पक्ष अरुण तिवारी आतुर जल बोला माटी से मैं प्रकृति का वीर्य तत्व हूं, तुम प्रकृति की कोख हो न्यारी। इस जगती का पौरुष मुझमें, तुममें रचना का गुण भारी। नर-नारी सम भोग विदित जस, तुम रंग बनो, मैं बनूं बिहारी। आतुर जल बोला माटी से…. न स्वाद गंध, न रंग तत्व, पर बोध तत्व है […] Read more » Featured ओढ़नी जल शिशु सूरज