साहित्य श्रीमद्भगवद्गीता और छद्म धर्मनिरपेक्षवादी – चर्चा-६ August 10, 2011 / December 7, 2011 by विपिन किशोर सिन्हा | 4 Comments on श्रीमद्भगवद्गीता और छद्म धर्मनिरपेक्षवादी – चर्चा-६ विपिन किशोर सिन्हा छद्म धर्मनिरपेक्षवादियों का श्रीमद्भगवद्गीता पर एक आरोप यह भी है कि गीता जाति-व्यवस्था को न सिर्फ स्वीकृति देती है, वरन् इसे ईश्वरीय भी मानती है। अपने समर्थन में वे गीता के अध्याय चार के निम्न श्लोक का उद्धरण देते हैं – चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः। तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम्॥ “चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं” […] Read more » Srimadbhagwat Gita छद्म धर्मनिरपेक्षवादी श्रीमद्भगवद्गीता श्रीमद्भगवद्गीता और छद्म धर्मनिरपेक्षवादी