समाज वैदिक आश्रम व्यवस्था श्रेष्ठतम सामाजिक व्यवस्था January 6, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ईश्वर का स्वभाव जीवों के सुख वा फलोभोग के लिए सृष्टि की रचना, पालन व प्रलय करना है। सृष्टि की रचना आदि का यह क्रम प्रवाह से अनादि है अर्थात् न तो कभी इसका आरम्भ हुआ और न कभी अन्त होगा, अर्थात् यह हमेशा चलता रहेगा। अपने इस स्वभाव के अनुसार ही ईश्वर ने वर्तमान […] Read more » Featured वैदिक आश्रम व्यवस्था श्रेष्ठतम सामाजिक व्यवस्था