धर्म-अध्यात्म मेरा धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश June 23, 2017 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on मेरा धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश मनुष्य जब जन्म लेता है तो उसे किसी भाषा का ज्ञान नहीं होता है, अन्य विषयों के ज्ञान होने का तो प्रश्न ही नही होता। सबसे पहले वह अपनी माता से उसकी भाषा, मातृभाषा, को सीखता है जिसे आरम्भिक जीवन के दो से पांच वर्ष तो नयूनतम लग ही जाते हैं। इसके बाद वह भाषा ज्ञान को व्याकरण की सहायता से जानकर उस पर धीरे धीरे अधिकार करना आरम्भ करता है। भाषा सीख लेने पर वह व्यक्ति उस भाषा की किसी भी पुस्तक को जानकर उसका अध्ययन कर सकता है। संसार में मिथ्या ज्ञान व सद्ज्ञान दोनों प्रकार के ग्रन्थ विद्यमान हैं। मिथ्या ज्ञान की पुस्तकें, भले ही वह धार्मिक हां या अन्य, उसे असत्य व जीवन के लक्ष्य से दूर कर अशुभ कर्म वा पाप की ओर ले जाती हैं। Read more » Featured Satyarthaprakash सत्यार्थप्रकाश सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का उद्देश्य
धर्म-अध्यात्म सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का उद्देश्य और प्रभाव November 28, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य “सत्यार्थ प्रकाश” विश्व साहित्य में महान ग्रन्थों में एक महानतम् ग्रन्थ है, ऐसा हमारा अध्ययन व विवेक हमें बताता है। हमारी इस स्थापना को दूसरे मत के लोग सुनेंगे तो इसका खण्डन करेंगे और कहेंगे कि यह बात पक्षपातपूर्ण है। उनके अनुसार उनके मत व पंथ का ग्रन्थ ही सर्वोत्तम व महानतम् […] Read more » सत्यार्थप्रकाश सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का उद्देश्य