कविता साहित्य कुछ और उठो सत्यार्थी November 27, 2017 by बीनू भटनागर | Leave a Comment इंसान ज्वालामुखी बन चुके थे, पहले ही, इंसानो के बच्चे भी मासूमियत छोड़कर, ज्वालामुखी बनने लगे हैं, जो कभी भी फट कर सब कुछ जला सकते हैं। कोई चार साल की उम्र में हैवानियत कर गया, किसी किशोर ने बच्चे को मार दिया, इमतिहान के डर ने गुनाह करवा डाला! दोष किसे दूँ सीखा तो […] Read more » सत्यार्थी