कविता
समझ लेना युवा है…
by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो
अन्यायों से लड़ता, सूर्य सा सुलगता, जो हो कर्तव्य निभाता, अपना पथ स्वयं बनाता, समझ लेना युवा है… हुँकार अपनी भरता, आँधियों को चीरता, समर को खदेड़ता, विद्रोही स्वर दिखाता, समझ लेना युवा है… प्रेम में उलझा हुआ, सपनों से झुलसा हुआ, बहुत दूर तक उड़ने को संकल्पित हुआ, पर अपनों की आशाओं से बंधा […]
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