दोहे सुनके ज़्यादा भी करोगे तुम क्या ! April 28, 2020 / April 28, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment (मधुगीति १८११२५ स) सुनके ज़्यादा भी करोगे तुम क्या, ध्वनि कितनी विचित्र सारे जहान; भला ना सुनना आवाज़ें सब ही, चहते विश्राम कर्ण-पट देही ! सुनाया सुन लिया बहुत कुछ ही, सुनो अब भूमा तरंग ॐ मही; उसमें पा जाओगे नाद सब ही, गौण होएँगे सभी स्वर तब ही ! राग भ्रमरा का समझ आएगा, […] Read more » सुनके ज़्यादा भी करोगे तुम क्या