विविधा गांधीवाद की परिकल्पना-6 April 20, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment ''जब सिद्घांत का प्रश्न होता था, तब गांधीजी हिंदुओं की भावनाओं का रंचमात्र भी ध्यान रखे बिना अत्यंत दृढ़ रहते थे, परंतु मुसलमान यदि उसी सिद्घांत का उल्लंघन करें, तो वह बहुत नरमी बरतते थे। मुझे यह बात किसी तरह समझ नहीं आती थी कि अपने देश में करोड़ों लोगों को अपनी नग्नता ढांपने के साधन (कपड़ों) से वंचित करने और उन्हीं कपड़ों को एक दूरस्थ देश तुर्की भेज देने में गांधीजी की ऐसी कौन सी नैतिकता थी?'' Read more » गाँधीवाद गांधीवाद की परिकल्पना भारतीय लोकतंत्र स्वामी श्रद्घानंद
लेख साहित्य हिन्दू संघटन : गांधीजी, स्वामी श्रद्घानंद और स्वातंत्र्य वीर सावरकर August 24, 2016 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य सफल वक्ता वही होता है जो श्रोताओं को अपनी बात से सहमत और संतुष्ट तो कर ही ले साथ ही उसकी भाषण कला ऐसी हो जिससे लोग वही कुछ करने के लिए प्रेरित और आंदोलित भी हो उठें जिसे वह वक्ता उनसे कराना चाहता है। भाषण के अंत में यदि नेता कहे […] Read more » Featured गाँधीजी स्वातंत्र्य वीर सावरकर स्वामी श्रद्घानंद हिन्दू संघटन