परिचर्चा भगवान को न्याय हेतु एक न्यायाधिकरण May 29, 2015 / May 29, 2015 by अरुण तिवारी | Leave a Comment -अरुण तिवारी- चैंकिए नहीं ! यह भगवान कोई और नहीं, वे पंचतत्व ही हैं, जो इस प्रकृति को बनाते और चलाते हैं: भ से भूमि, ग से गगन, व से वायु, अ से अग्नि और न से नीर। जीव, इस भगवान का निर्माण भले ही न कर सकता हो, किंतु भगवान के शोषण और बिगाड़ […] Read more » Featured भगवान को न्याय हेतु एक न्यायाधिकरण हरित न्यायाधिकरण