कविता हास्य व्यंग्य कविता : परेशान ‘मेल’ June 13, 2013 / June 13, 2013 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment मिलन सिन्हा मैनेजर ने बड़े बाबू से पूछा, ये क्या हाल बना रक्खा है, टेबुल पर फाइलों का अंबार लगा रक्खा है ? क्या बात है, कुछ कहते क्यों नहीं ? सर, कहने से क्या लाभ हमीं अब बदल रहें है अपना स्टाइल, अपना स्वभाव ! सर, हम जो मर्द हैं न, अर्थात […] Read more » परेशान 'मेल' हास्य व्यंग्य कविता
कविता हास्य व्यंग्य कविता : माडर्न पत्नी के माडर्न विचार May 24, 2013 / May 24, 2013 by मिलन सिन्हा | 2 Comments on हास्य व्यंग्य कविता : माडर्न पत्नी के माडर्न विचार मिलन सिन्हा सावन की सुहानी रात थी पति पत्नी की बात थी कहा, पति ने बड़े प्यार से देखो, प्रिये कल मुझे आफ़िस जल्दी है जाना वहां बहुत काम पड़ा है सब मुझे ही है निबटाना . प्लीज ,जाने मन कल, सिर्फ कल बना लेना अपना खाना इसके लिए मैं तुम्हारा ‘ग्रेटफूल’ रहूँगा आगे […] Read more » माडर्न पत्नी के माडर्न विचार हास्य व्यंग्य कविता
कविता हास्य व्यंग्य कविता : आरोप और आयोग April 28, 2013 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment मिलन सिन्हा आरोप और आयोग हमारे महान देश में जब जब घोटाला होता है और हमारे मंत्रियों , नेताओं आदि पर गंभीर आरोप लगाया जाता है तब तब सरकार द्वारा पहले तो इसे बकवास बताया जाता है लेकिन, ज्यादा हो-हल्ला होने पर एक जांच आयोग बैठा दिया जाता है आयोग का कार्यकाल महीनों, सालों का […] Read more » आरोप और आयोग हास्य व्यंग्य कविता
व्यंग्य हास्य व्यंग्य कविता: गांधीवादी परम्परा April 25, 2013 by मिलन सिन्हा | 1 Comment on हास्य व्यंग्य कविता: गांधीवादी परम्परा मिलन सिन्हा हमारे नेता जी काफी चर्चित थे . जनता से जो काम करने को कहते थे उसे पहले खुद करते थे . इस मामले वे अपने को पक्के सिद्धान्तवादी-गांधीवादी कहते थे . एक बार उन्होंने कहा, हम गरीबी हटाकर रहेंगे अब गरीबी रहेगी या हम रहेंगे . सिद्धान्त के मुताबिक उन्होंने पहले अपनी गरीबी […] Read more » गांधीवादी परम्परा हास्य व्यंग्य कविता