हमारे नेता जी काफी चर्चित थे .
जनता से
जो काम करने को कहते थे
उसे पहले
खुद करते थे .
इस मामले वे अपने को
पक्के सिद्धान्तवादी-गांधीवादी कहते थे .
एक बार उन्होंने कहा,
हम गरीबी हटाकर रहेंगे
अब गरीबी रहेगी या
हम रहेंगे .
सिद्धान्त के मुताबिक उन्होंने पहले
अपनी गरीबी हटाने का प्रयास किया
और जल्दी ही
कई गाड़ियां खरीद लीं,
चार-पांच मकान बनवा लिया
और भी न जाने
क्या-क्या जोड़ लिया .
इस तरह उन्होंने
एक नयी परम्परा को जन्म दिया
जिसका अनुसरण करते हुए
अधिकांश नेता गांधीवादी (?) बन गए
और पहले
अपनी-अपनी गरीबी हटाने में जुट गए !
पिछले वर्षो से नेताओं की यही चाल
?मंच से बोलते कुछ करते है बेहाल
अब टूटने लगा लगातार सब्र जाल
हाल बेहाल होता टूटेगा नेता जंजाल?