आलोचना असफल रैनेसां का प्रतीक हैं गालियां January 9, 2011 / December 16, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on असफल रैनेसां का प्रतीक हैं गालियां जगदीश्वर चतुर्वेदी हिन्दी में रैनेसां का शोर मचाने वाले नहीं जानते कि हिन्दी में रैनेसां असफल क्यों हुआ ? रैनेसां सफल रहता तो हिन्दी समाज गालियों का धडल्ले से प्रयोग नहीं करता। बांग्ला ,मराठी ,तमिल,गुजराती में रैनेसां हुआ था और वहां जीवन और साहित्य से गालियां गायब हो गयीं। लेकिन हिन्दी में गालियां फलफूल रही […] Read more » Abuse रैनेसां
समाज गालियां या फैशन – हिमांशु डबराल May 5, 2009 / December 27, 2011 by हिमांशु डबराल | 1 Comment on गालियां या फैशन – हिमांशु डबराल एक समय था जब भारतीय समाज को उसकी सभ्यता और मधुभाषिता के लिए जाना जाता था। समाज में कोई किसी के लिए अपशब्दों का प्रयोग नहीं करता था और अगर कोई बोल भी... Read more » Abuse गालियां