आलोचना हिन्दी बुर्जुआ के सांस्कृतिक खेल July 24, 2011 / December 8, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on हिन्दी बुर्जुआ के सांस्कृतिक खेल जगदीश्वर चतुर्वेदी हिन्दी बुर्जुआवर्ग का हिन्दीभाषा और साहित्य से तीन-तेरह का संबंध है। हिन्दीभाषी बुर्जुआवर्ग में आत्मत्याग की भावना कम है। उसमें दौलत,शानो-शौकत और सामाजिक हैसियत का अहंकार है। वह प्रत्येक काम के लिए दूसरों पर निर्भर है।दूसरों के अनुकरण में गर्व महसूस करता है। दूसरों के अनुग्रह को सम्मान समझता है।वाक्चातुर्य से भाव-विह्वल हो […] Read more » cultural सांस्कृतिक
राजनीति आजादी की 63वीं वर्षगाठ पर विशेष August 15, 2010 / December 22, 2011 by अशोक बजाज | 11 Comments on आजादी की 63वीं वर्षगाठ पर विशेष -अशोक बजाज आज हम आजादी की 63वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। किसी भी देश के विकास के लिए 63 वर्ष कोई कम नहीं है। वर्षों की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को आजाद मातृभूमि पर जब सूरज की पहली किरण पड़ी होगी तो वह दृश्य कितना मनमोहक रहा होगा। चारों तरफ ढोल-नगाडे बज रहे […] Read more » cultural सांस्कृतिक राष्ट्रवाद
राजनीति राष्ट्र के विकास में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भूमिका August 12, 2010 / December 22, 2011 by वी. के. सिंह | 1 Comment on राष्ट्र के विकास में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भूमिका -वी. के. सिंह राष्ट्र समान्यत: राज्य या देश से समझा जाता है। राष्ट्र का एक शाश्वत अथवा जीवंत अर्थ है ‘एक राज्य में बसने वाले समस्त जनसमूह।’ सास्कृतिक राष्ट्रवाद इसी शाश्वत अर्थ को दर्शाता है। राष्ट्रवाद राष्ट्र हितों के प्रति समर्पित विचार है, जो एकता, महत्ता और कल्याण का समर्थक है, समस्त भारतीय समुदाय को […] Read more » cultural सांस्कृतिक राष्ट्रवाद