कविता
हमें इंसानियत की वाजिब सूरतेहाल चाहिए
/ by विनय कुमार'विनायक'
—विनय कुमार विनायकहमें ना दोजख, ना जन्नत बेमिसाल चाहिए,हमें तो चैन-सुकून का भारत विशाल चाहिए! हमें ना किल्लत चाहिए, ना जिल्लत चाहिए,हमें अपने देश के लोगों में मिल्लत चाहिए! हमें ना मालामाल चाहिए, ना फटेहाल चाहिए,हमें सब कोई अपने देश में खुशहाल चाहिए! हमें ना गंजेड़ी-भंगेड़ी, ना कोई मताल चाहिए,हमें टी.वी.स्क्रीन पे सच्चरित्र मिसाल चाहिए! […]
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