लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-86 April 9, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का सत्रहवां अध्याय मनुष्य के पतन का कारण कामवासना होती है। बड़े-बड़े सन्त महात्मा और सम्राटों का आत्मिक पतन इसी कामवासना के कारण हो गया। जिसने काम को जीत लिया वह ‘जगजीत’ हो जाता है। सारा जग उसके चरणों में आ जाता है। ऐसे उदाहरण भी हमारे इतिहास में […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का सत्रहवां अध्याय
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-84 April 7, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का सोलहवां अध्याय श्रीकृष्णजी की यह सोच वर्तमान विश्व के लिए हजारों वर्ष पूर्व की गयी उनकी भविष्यवाणी कही जा सकती है जो कि आज अक्षरश: चरितार्थ हो रही है। स्वार्थपूर्ण मनोवृत्ति के लोगों ने जगत के शत्रु बनकर इसके सारे सम्बन्धों को ही विनाशकारी और विषयुक्त बना दिया […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का सोलहवां अध्याय
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-83 April 7, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का सोलहवां अध्याय माना कि अर्जुन तू और तेरे अन्य चार भाई दुर्योधन और उसके भाइयों के रक्त के प्यासे नहीं हो, पर तुम्हारा यह कत्र्तव्य है कि संसार में ‘दैवीय सम्पद’ लोगों की सुरक्षा की जाए और ‘आसुरी सम्पद’ लोगों की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए उनके […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का सोलहवां अध्याय
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-82 April 3, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य    गीता का सोलहवां अध्याय गीता के 15वें अध्याय में प्रकृति, जीव तथा परमेश्वर का वर्णन किया गया है तो 16वें अध्याय में अब श्रीकृष्णजी मनुष्यों में पाई जाने वाली दैवी और आसुरी प्रकृतियों का वर्णन करने लगे हैं। इन प्रकृतियों के आधार पर मानव समाज को दैवीय मानव समाज […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-81 April 3, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य  गीता का पन्द्रहवां अध्याय गीता में ईश्वर का वर्णन गीता का मत है कि सूर्य में जो हमें तेज दिखायी देता है वह ईश्वर का ही तेज है। ‘गीताकार’ का कथन है कि जो तेज चन्द्रमा में और अग्नि में विद्यमान है, वह मेरा ही तेज है, ऐसा जान। किसी कवि […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-63 March 6, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का आठवां अध्याय और विश्व समाज स्वामी चिन्मयानन्द जी की बात में बहुत बल है। आज के वैज्ञानिकों ने ‘गॉड पार्टीकल’ की खोज के लिए अरबों की धनराशि व्यय की और फिर भी वह ‘गॉड पार्टीकल’ अर्थात ब्रह्मतत्व की वैसी खोज नहीं कर पाये-जैसी हमारे श्री ऋषि-महर्षियों ने हमें […] Read more » Featured geeta आज का विश्व. karmayoga of geeta गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-58 February 15, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का दसवां अध्याय और विश्व समाज ”पत्ते-पत्ते की कतरन न्यारी तेरे हाथ कतरनी कहीं नहीं-” कवि ने जब ये पंक्तियां लिखी होंगी तो उसने भगवान (प्रकत्र्ता) और प्रकृति को और उनके सम्बन्ध को बड़ी गहराई से पढ़ा व समझा होगा। हर पत्ते की कतरन न्यारी -न्यारी बनाने वाला अवश्य […] Read more »  गीता का आठवां अध्याय Featured geeta karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का दसवां अध्याय गीता का नौवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-57 February 15, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का नौवां अध्याय और विश्व समाज अन्य देवोपासक और भक्तिमार्गी पीछे हम कह रहे थे कि गीता बहुदेवतावाद की विरोधी है और एकेश्वरवाद की समर्थक है। यहां पुन: उसी बात को श्रीकृष्ण जी दोहरा रहे हैं, पर शब्द कुछ दूसरे हैं। जिन्हें सुनकर लगता है कि वे बहुदेवतावाद को […] Read more »  गीता का आठवां अध्याय Featured geeta karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का नौवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-56 February 12, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का नौवां अध्याय और विश्व समाज इस प्रकार ईश्वर को एक देशीय न मानना स्वयं अपने बौद्घिक विकास के लिए भी आवश्यक है। आज का मनुष्य धर्म में भी व्यापार करता है। इसलिए हम उसे व्यापार में मुनाफे का एक सौदा बता रहे हैं कि वह ईश्वर को सर्वव्यापक […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का नौवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-55 February 12, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का नौवां अध्याय और विश्व समाज इससे अगले श्लोक में श्रीकृष्णजी कहते हैं कि इस संसार में लोग किसी को ब्राह्मïण, किसी को बड़ा, किसी को चाण्डाल तो किसी को छोटा कहते हैं। जबकि सभी मनुष्यों में ‘मैं’ ही समाया होता हूं। इसका भाव यह है कि आत्मा को […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का नौवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-52 February 5, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का आठवां अध्याय और विश्व समाज मोक्ष कब तक मिला रहता है अब हम इस विषय पर विचार करते हैं कि मनुष्य को मोक्ष कब मिलता है? गीता के आठवें अध्याय में ही इस पर प्रकाश डालते हुए योगीराज श्रीकृष्णजी ने स्पष्ट किया कि ब्रह्म का एक दिन मानव के एक […] Read more »  गीता का आठवां अध्याय Featured geeta karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-51 February 5, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का आठवां अध्याय और विश्व समाज परमपुरूष अर्थात परमात्मा को पाने का सच्चा साधन योगेश्वर श्रीकृष्ण ‘अभ्यास योग’ को ही बताते हैं। वह कहते हैं कि जो साधक ‘अभ्यास योग’ के माध्यम से चित्त को एकाग्र कर उसे कहीं दूसरी जगह भागने नहीं देता है-वह निरन्तर चिन्तन करते रहने […] Read more »  गीता का आठवां अध्याय Featured geeta karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग विश्व समाज