गजल जीवन मर्म February 11, 2014 / February 11, 2014 by राघवेन्द्र कुमार 'राघव' | Leave a Comment पाषाण हृदय बनकर कुछ भी नहीं पाओगे । वक्त के पीछे तुम बस रोओगे पछताओगे ।। ये आस तभी तक है जब तक सांसें हैं। सांस के जाने पर क्या कर पाओगे ।। इन मन की लहरों को मन में न दबाना तुम । ग़र मन में उठा तूफां कैसे बच पाओगे ।। भार नहीं […] Read more » ghazal जीवन मर्म
गजल मेरे क़ातिल कोई और नहीं मेरे साथी निकले February 6, 2014 / February 6, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on मेरे क़ातिल कोई और नहीं मेरे साथी निकले -बदरे आलम खां- मेरे क़ातिल कोई और नहीं मेरे साथी निकले मेरे जनाजे के साथ बनकर वो बाराती निकले रिश्तेदारों ने भी रिस्ता तोड़ दिया उस वक़्त जब दौलत कि तिजोरी से मेरे हाथ खली निकले मेरे किस्मत ने ऐसे मुकाम पर लाकर छोड़ दिया ग़ैर तो गैर मेरे अपने साये भी सवाली निकले […] Read more » ghazal मेरे क़ातिल कोई और नहीं मेरे साथी निकले