कविता
हिन्दुत्व सदियों से सिखाता प्रीत रीत को
/ by विनय कुमार'विनायक'
—विनय कुमार विनायकहिन्दू तन है, हिन्दू मन है, मैं हिन्दू हूं,हिन्दू आनन, गेरुआ वसन, मैं हिन्दू हूं! मैं हिन्दू हिंसा-दूषण, इंसा-पूजन करता हूं,मैं हिन्दू हूं,अहिंसा का गुणगान करता हूं! मैं हिन्दू हूं ईश्वर में आस्थावान रहता हूं,मैं हिन्दू हूं, मानवता का गान सुनाता हूं! मैं सनातनी हिन्दू, ना किसी से तनातनी,मैं बात करुं वेद-पुराण आगम-निगम […]
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