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—विनय कुमार विनायक
हिन्दू तन है, हिन्दू मन है, मैं हिन्दू हूं,
हिन्दू आनन, गेरुआ वसन, मैं हिन्दू हूं!
मैं हिन्दू हिंसा-दूषण, इंसा-पूजन करता हूं,
मैं हिन्दू हूं,अहिंसा का गुणगान करता हूं!
मैं हिन्दू हूं ईश्वर में आस्थावान रहता हूं,
मैं हिन्दू हूं, मानवता का गान सुनाता हूं!
मैं सनातनी हिन्दू, ना किसी से तनातनी,
मैं बात करुं वेद-पुराण आगम-निगम की!
मैं हिन्दू हूं, हिन्दुत्व की गाथा सुनाता हूं,
मैं हिन्दू हूं, हिन्दुओं में अलख जगाता हूं!
मैं हिन्दू हूं प्रखर सूर्य मैं मनोहर इन्दु हूं,
मुझको नहीं अहं धन-बल की मैं हिन्दू हूं!
मैं हिन्दू हूं राम-कृष्ण के वंशबेल विंदु हूं,
मैं जलधर गंगा यमुना सरस्वती सिंधु हूं!
मैं हिन्दू हूं, मैं हिन्दुत्व का गुण धर्म हूं,
हिन्दुत्व को समझो मैं नर्म और गर्म हूं!
मैं हिन्दू हूं, हिन्दुत्व के भाव से भरा हूं,
मैं हिन्दू हूं मैं मृदु स्वभाव से निखरा हूं!
मैं हिन्दू हूं, छल छंद रहित निर्मलेन्दु हूं,
ॐ कार मंत्रोपासक शिवानन चंद्र विंदु हूं!
मैं हिन्दू हूं घर-बार मेरा हिंदुस्तान में है,
मैं हिन्दू हूं, मेरी आस्था राम नाम में है!
हिन्दुत्व सदियों से सिखाता प्रीत-रीत को,
हिन्दुत्व सदियों से जलाता बुझे दीप को!
हिन्दुत्व बदल सकता है हार को जीत में,
हिन्दुत्व बदल सकता है शत्रु को मीत में!
हिन्दुत्व में मानवता का है नैसर्गिक गुण,
हिन्दुत्व में स्वाभाविक मानवता की धुन!
हिन्दू बनकर जीने में है अमृत को पीना,
हिन्दू बनकर मरने में ईश्वर को जानना!
हिन्दू बनकर ही हर कोई अहिंसक होते,
हिन्दू बनकर जीव-जंतुओं के रक्षक होते!
हर मनुष्य तन, जन्म से सनातन धर्मी,
हिन्दू हाव-भाव से होते नहीं हैं दुष्कर्मी!
—विनय कुमार विनायक
विनय कुमार “विनायक” जी, अति सुन्दर!
“हिन्दुत्व बदल सकता है हार को जीत में,
हिन्दुत्व बदल सकता है शत्रु को मीत में!
साधुवाद|