राजनीति उत्तर मार्क्सवाद के दौर में क्रांति का मार्ग December 3, 2010 / December 19, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment -जगदीश्वर चतुर्वेदी उत्तर आधुनिकतावाद दौर में क्रांति पर सबसे तेज हमले हुए हैं। इन हमलों के आंतरिक और बाह्य दोनों ही किस्म के रूप रहे हैं। इनकी मीमांसा करने का यहां अवकाश नहीं है। उस पर आगे कभी बात करेंगे। हम कायदे से क्रांति की आवधारणा पर नए सिरे से विचार करें। क्योंकि उत्तर आधुनिकता […] Read more » Marxism मार्क्सवाद
राजनीति नव्य उदार यथार्थ और मार्क्सवादी असफलताएं November 23, 2010 / December 19, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 6 Comments on नव्य उदार यथार्थ और मार्क्सवादी असफलताएं -जगदीश्वर चतुर्वेदी मार्क्सवादी आलोचक फ्रेडरिक जेम्सन ने मौजूदा दौर के संदर्भ में मार्क्सवाद की पांच थीसिस प्रतिपादित की हैं। इनमें दूसरी थीसिस में उन्होंने उन खतरों की ओर ध्यान खींचा है जो मार्क्सवाद के लिए आ सकते हैं या आए हैं और जिनसे मार्क्सवादी आंदोलन को धक्का लगा है। उत्तर आधुनिक परिस्थितियों के आने साथ […] Read more » Marxism नव्यउदार यथार्थ मार्क्सवाद
विश्ववार्ता अमेरिका का भयावह यथार्थ और मार्क्सवाद की वापसी October 17, 2010 / December 20, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on अमेरिका का भयावह यथार्थ और मार्क्सवाद की वापसी -जगदीश्वर चतुर्वेदी यह मार्क्सवाद की ओर लौटने की बेला है। जो लोग नव्य उदारतावाद के साथ साम्यवाद पर हमलावर हुए थे वे अपने हाथों अपने पेट में छुरा भोंक चुके हैं। हम भारतवासी सच को देखें और आंखें खोलें। आर्थिकमंदी ने अमेरिका की जनता की कमर तोड़ दी है। उन सभी लोगों को गहरी निराशा […] Read more » Marxism अमेरिका मार्क्सवाद
राजनीति साम्यवादी भूलों के आंगन के पार मार्क्सवाद June 22, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 4 Comments on साम्यवादी भूलों के आंगन के पार मार्क्सवाद -जगदीश्वर चतुर्वेदी एक जमाना था भारत में कहावत थी कि मास्को में सर्दी पड़ती है तो कॉमरेड को दिल्ली में जुकाम होता है। भारत में सोवियत संघ के गुणगान गाने वालों की समाजवाद के जमाने या सोवियत जमाने में कमी नहीं थी। जब से समाजवादी व्यवस्था गिरी और सोवियत संघ का विघटन हुआ, तब से […] Read more » Marxism मार्क्सवाद साम्यवाद
परिचर्चा राजनीति परिचर्चा : मार्क्सवाद और धर्म January 20, 2010 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 36 Comments on परिचर्चा : मार्क्सवाद और धर्म इन दिनों ‘मार्क्सवाद और धर्म के बीच संबंध’ पर बहस जोरों पर है। पिछले दिनों केरल से माकपा के पूर्व सासद डा. केएस मनोज ने अपनी आस्था व उपासना के अधिकार की रक्षा का प्रश्न उठाते हुए पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। डा. केएस मनोज को 2004 में माकपा ने तब लोकसभा का टिकट दिया […] Read more » Marxism धर्म मार्क्सवाद