लेख भ्रमजाल में फंसी आधुनिकता की धारणा July 30, 2019 / July 30, 2019 by अनिल अनूप | Leave a Comment -अनिल अनूप हमारा समाज संक्रमण के जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें हम परम्परा और आधुनिकता के बीच चुनाव के द्वंद्व में फंसे हैं. एक ओर पश्चिमी जीवनशैली का सम्मोहन है तो दूसरी ओर सांस्कृतिक अस्मिता का आग्रह है. अनिश्चय और अनिर्णय कई बार हमसे ऐसे आधारहीन, अवसरवादी, हास्यास्पद और सिद्धांतहीन समझौते करवाते हैं […] Read more » modernism Perception trapped in delusion
समाज आधुनिकता बनाम परिवार September 29, 2011 / December 6, 2011 by गंगानन्द झा | Leave a Comment परिवार की हमारी पारम्परिक अवधारणा और संरचना को आधुनिकता के ज्वार के कारण काफी तनाव का सामना करना पड रहा है । मनुष्य एक ही साथ व्यक्ति तथा समूह के अवयव की सत्ता रखा करता है । हमारी परम्परा में परिवार के सदस्य अपने को प्रथमतः परिवार के अवयव के रूप में पाया करते थे,यह […] Read more » modernism आधुनिकता बनाम परिवार
आलोचना उत्तर आधुनिकतावाद के विभ्रम और अस्मिता November 21, 2010 / December 19, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment -जगदीश्वर चतुर्वेदी इन दिनों वास्तव और अवास्तव, व्यक्ति और अव्यक्ति, जीवन और मृत्यु, उपस्थित और अनुपस्थित आदि के बारे में सवाल नहीं किए जाते। जो कुछ भी कहा जाता है वह खास सीमा में रहकर ही कहा जाता है। इसी प्रसंग में देरिदा की प्रसिद्ध किताब ‘स्पेक्टेटर ऑफ मार्क्स’ का जिक्र करना समीचीन होगा। इस […] Read more » modernism उत्तर आधुनिकतावाद