कविता धर्मपत्नी के लिए June 8, 2019 / June 8, 2019 by डा.सतीश कुमार | Leave a Comment डॉ. सतीश कुमार तुम कुछ नहीं भी कहती, मैं बहुत कुछ सुन लेता हूँ। सब कुछ समझ भी लेता हूँ, कह नहीं सकता। पर, मेरा अनकहा तुम सुन भी लेती हो, तुम गुन भी लेती हो। तुमने संभाला है जैसे अब तक, बस यूँ ही संभाले रहना। तुम नहीं तो मैं कुछ नहीं। मेरे सुख-दुःख, […] Read more » express love expressive poem Love poem poem poem for wife poetry of gratitude poetry on soulmate