प्रवक्ता न्यूज़ होली भजन May 16, 2024 / May 16, 2024 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment (तर्ज- होली खेले रघुवीरा) होली खेलै गिरधारी (बनवारी) बृज में, (होली खेलै गिरधारी-2)होली खेले गिरधारी (बनवारी) बृज में………. बरसाने की गोपियाँ (सखियाँ) सारी, भर-भर ये मारे पिचकारीऔर नाचै दै दै तारी, होली खेलै………… सब ग्वालो का टोला लायौ, ऐसौ यानै रंगु बरसायौहुरदंग मचरहयो भारी, होली खेलै……… राधाजू ने युक्ति विचारी, घेर लयौ है श्याम बिहारीवाकी […] Read more » Holi Poem on Holi
कविता होली March 27, 2021 / March 27, 2021 by प्रभात पाण्डेय | Leave a Comment फिर मादकता की अंगड़ाई लेकर ,होली का पर्व आया हैआम्र कुंज से मुखर मुकुल का ,सौरभ पवन स्वयं लाया है ||भूमि पर ज्योति की बांसुरी बजानेफूल के गांव में पांखुरी खिलानेहर किरन के अधर पर ,सरस तान यह लाया हैफिर मादकता की अंगड़ाई लेकर ,होली का पर्व आया है ||मदन सखा सुकुमार मनोहर ,काम लिये […] Read more » Holi Poem on Holi होली
कविता होली में क्या क्या होना चाहिए March 26, 2019 / March 27, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment होली में जब तक हलवाई ना हो |देशी घी की मिठाई बनाई ना हो ||गर्म गर्म भांग के पकोड़े ना हो |उन पर चटनी की लाग लगाई ना हो ||तब तक होली क्या होली है ?वर्ना रंगों के साथ ठठोली है || होली में जब तक रंग गुलाल ना हो |खेलने वालो के दिल में […] Read more » Poem on Holi होली
कविता साहित्य एक हो जावें – पर्व होली का मनावें March 14, 2016 / March 14, 2016 by विमलेश बंसल 'आर्या' | Leave a Comment एक हो जावें, पर्व होली का मनावें, कुहुक रही हैं कोयल डालियाँ। फ़ाग गवावें, कृपा ईश्वर की पावें, झूम रही हैं जौ की बालियाँ।। एक हो जावें….. मासों में अंतिम मास फाल्गुन विदाई का। देने संदेशा आया, प्रेम और भलाई का। जगें जगावें, भेद हर दिल के मिटावें, पावन बनावें हृदय प्यालियाँ।। एक हो जावें […] Read more » Holi festival Poem on Holi होली होली पर्व
कविता रंग नहीं होली के रंगों में March 15, 2014 by हिमकर श्याम | 2 Comments on रंग नहीं होली के रंगों में -हिमकर श्याम- फिर बौरायी मंजरियों के बीच कोयल कूकी, दिल में एक टीस उठी पागल भोरें मंडराने लगे, अधखिली कलियों के अधरों पर पलाश फूटे या आग किसी मन में, चूड़ी की है खनक कहीं, कहीं थिरकन है अंगों में, ढोल-मंजीरों की थाप गूंजती है कानों में मौसम हो गया है अधीर, बिखर गये चहूं […] Read more » Poem on Holi रंग नहीं होली के रंगों में
कविता आओ मनायें ऐसे होली February 12, 2014 by विमलेश बंसल 'आर्या' | Leave a Comment -होली पर विशेष- गली-गली और नगर-नगर में आर्यों की बन निकले टोली। सबको वैदिक रंग में रंगकर आओ हम सब खेलें होली॥ 1. खुश्बू के शीतल चंदन से, हर मस्तक पर रंगकर रोली। प्यार प्रीति की रीति निभाकर, चलें साथ बनकर हमजोली॥ 2. घृणा, द्वेष, नफरत को मिटाकर, रूठों को भी आज मनाकर। बाहों में […] Read more » Poem on Holi आओ मनायें ऐसे होली