कविता
तुमने मुझे जीना सीखा दिया
 
 /  by डा.सतीश कुमार    
डॉ. सतीश कुमार तुमने बुझते दीयों को , फिर से जला, उन्हें गर्विला बना, इठलाना सिखा दिया। निराशा को आशा में, दुख को सुख में, कल्पना को हकीकत में, परिवर्तित कर, उखड़ती हुई सांसों को, संयत होना सीखा दिया। रखा जो कंधे पर हाथ पस्त हौंसले को, नयी उमंग, नया जोश भर, आंखों में नयी […] 
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