राजनीति धूल झोंकने का खेल कब तक ? February 17, 2014 by अतुल तारे | 1 Comment on धूल झोंकने का खेल कब तक ? -अतुल तारे- देशवासी अपनी आंखों का क्या करें? क्या अब इन आंखों को खुद ही फोड़ लें या फिर पिछले छह दशक से देश की आंखों में धूल, मिर्ची और न जाने क्या-क्या झोंक रहे इन माननीयों की ही ‘आंखें’ निकाल लें, तय करना मुश्किल है। आखिर कब तक? आक्रोश के लिए शब्दकोश में […] Read more » Problems with indian politics धूल झोंकने का खेल कब तक ?
राजनीति ‘अराजकता का पैरोकार बनकर ‘सुराज’ का सपना नहीं देखा जा सकता’ February 9, 2014 by आलोक कुमार | 1 Comment on ‘अराजकता का पैरोकार बनकर ‘सुराज’ का सपना नहीं देखा जा सकता’ -आलोक कुमार- संविधान पर आस्था, लोकतंत्र पर विश्वास, संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान और न्याय व्यवस्था पर भरोसा जैसे शब्द अभी भी हमारे देश में काफी मायने रखते हैं। इनका उपहास उड़ाकर ‘हासिल’ करने की प्रवृत्ति से प्रेरित राजनीति से तात्कालिक रूप से ‘सुर्खियां’ तो बटोरीं जा सकती हैं लेकिन किसी दूरगामी लक्ष्य की प्राप्ति कदापि […] Read more » Problems with indian politics अराजकता का पैरोकार बनकर ‘सुराज’ का सपना नहीं देखा जा सकता
राजनीति राजनीति पर नौटंकीबाज हावी है January 21, 2014 / January 21, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -आलोक कुमार- इन दिनों देश की राजनीति पर नौटंकीबाज हावी है, छाये हुए हैं। कुछ लोग कला, उद्योग-व्यवसाय या सेवा के क्षेत्र से राजनीति के क्षेत्र में कूद पड़े हैं। इस तरह के लोग वस्तुतः नौटंकीबाज होते हैं। जिन क्षेत्रों के वे हैं उनमें नौटंकी प्रदर्शन की उतनी गुंजाइश नहीं थी, या है जितनी नौटंकी […] Read more » Problems with indian politics राजनीति पर नौटंकीबाज हावी है