लेख एक अनशन जनता के लिए June 5, 2011 / December 11, 2011 by श्याम नारायण रंगा | 1 Comment on एक अनशन जनता के लिए अभी हाल ही में कुछ दिन पहले अन्ना हजारे ने अनशन किया और मान गए और अब बाबा रामदेव अनशन कर रहे हैं। ये सब अनशन और आंदोलन और धरना प्रदशर्न जो हमारे देश में होते हैं वे सिस्टम के खिलाफ होते हैं और सब लोग मिलकर सारा दोा सरकार व सरकार चलाने वाले नेताओं […] Read more » Public अनशन जनता
जन-जागरण राजनीति ये पब्लिक है सब जानती है। May 29, 2011 / December 12, 2011 by आनन्द स्वरूप द्विवेदी | Leave a Comment आज हर व्यक्ति केवल भाई भतीजा वाद मे फस गया है, हर जगह केवल पैसा और सिफारिश का जमाना आगया हैं।दफ्तर हो या समाज व्यक्ति केवल आपना हित साधना चाहता है दूसरे के हित कि तो कोई सोचता हि नहीं है। इस तरह से हमारी राजनैतिक पार्टियाँ होगयी है। उन में भी जो लोग पार्टियों […] Read more » Public ये पब्लिक है सब जानती है
विविधा जनता जब भीड़ में तब्दील हो जाती है April 2, 2011 / December 14, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो तो भीड़ का न्याय अकल्पनीय होता है| डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ सुधी पाठक इस आगे पढने से पूर्व केवल इतना सा जान लें कि प्रत्येक सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भारत के संविधान के अनुसार पब्लिक सर्वेण्ट हैं, जिसका स्पष्ट अर्थ है कि प्रत्येक सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी न तो भारत सरकार का नौकर है और […] Read more » Public जनता न्याय भीड़
राजनीति जनता से दूर जनता का राज November 3, 2010 / December 20, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -श्याम नारायण रंगा भारत एक लोकतांत्रिक देश है। विश्व के सबसे बड़े इस लोकतंत्र मे तंत्र का निर्माण लोक द्वारा किया जाता है और जनता का जनता के द्वारा जनता के लिए शासन का निर्माण होता है। परन्तु वर्तमान में जो तस्वीर नजर आती है उससे ये लगता है कि लोक अपने तंत्र का निर्माण […] Read more » Public जनता
राजनीति तीन महीने में पैसा डबल! काले धन में जनता की हिस्सेदारी! September 5, 2010 / December 22, 2011 by मन ओज सोमक्रिया | 6 Comments on तीन महीने में पैसा डबल! काले धन में जनता की हिस्सेदारी! Double Your Money in 3 Months! Public Sharing the Black Money! 20वीं सदी तक हमारे भ्रष्ट अधिकारीगण, नेता और उधोगपति टैक्स की चोरी कर के और अन्य परियोजनाओं से चुराए गए धन को स्विस एवं अन्य विदेशी ऍकाउंटों में जमा करते थे। एक समय पर तो भारत की समानान्तर अर्थव्यवस्था (Parallel Economy of India) द्वारा […] Read more » Public जनता