कविता ये दुनिया चंद दिन का मेला January 31, 2025 / January 31, 2025 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकयहाँ हर कोई अच्छा हो नहीं सकतामगर जहाँ में हर कोई चाहतायहाँ हर कोई हो अच्छा और सच्चा! सबके दिल में छेद बहुत है, पर हाथ अहं का प्याला हैभाई-भाई में मतभेद बहुत है, बिना पीए ही मतवाला हैयहाँ नहीं कोई बहन बहनोई, दुख में काम आनेवाला हैऔर नहीं कोई सरहज साला, जो […] Read more » lonely in old age played in childhood Railampela in youth This world is a fair for a few days ये दुनिया चंद दिन का मेला