चुनाव राजनीति व्यंग्य नई नाटक-मंडली की नित नई पटकथाएं April 5, 2014 by आलोक कुमार | Leave a Comment -आलोक कुमार- ‘टोपी – झाड़ू’ वाली नयी नाटक – मंडली के सारे ‘ड्रामे’ कैमरे के सामने ही क्यों होते हैं ? इसे समझना ‘रॉकेट साईन्स’ समझने जैसा कठिन नहीं हैl अपने शुरुआती दौर ‘नुक्कड़’ से लेकर आज तक इस मंडली के निर्देशक और अन्य ‘नाटककार’ आज के दौर में कैसे सुर्खियों में बना रहा जाता है, इसका‘फलसफा’ भली- भांति समझ व जान चुके हैंl रामलीला मैदान, जंतर-मंतर से लेकर ‘रंगशाला’ तक के इनके सफर में ‘कैमरे’ की […] Read more » satire on politics नई नाटक-मंडली की नित नई पटकथाएं
व्यंग्य पधारो म्हारी चौपाल! February 15, 2014 by अशोक गौतम | Leave a Comment हे चाय चौपाल के बहाने वोट की जुगाड़ करने वालो! बड़े फन्ने खां बने फिरते हो न! पर अब आपको यह जानकर जितना आप सहन कर सकते हो उससे भी कहीं अधिक दुख होगा कि हमने आपका पहले वाले दाव का तोड़ निकाला हो या न पर आपकी चाय चौपाल का तोड़ निकाल लिया है। […] Read more » satire on politics पधारो म्हारी चौपाल!
व्यंग्य राजनैतिक दोहे February 13, 2014 by बीनू भटनागर | 11 Comments on राजनैतिक दोहे -बीनू भटनागर- दोहों के सारे नियमों को ताक पर रखकर ये 7 दोहे लिखे हैं, दोहे इसलिये हैं कि दो लाइन के हैं। छंदशास्त्र के विद्वानों की निगाह पड़ जाये तो कृपया आंख बन्द कर लें। कोई बॉलीवुड का प्राणी देख ले तो ध्यान दें, क्योंकि फिल्मों में जैसी तुकबन्दी होती है, वैसी हम […] Read more » satire on political party satire on politics राजनैतिक दोहे
व्यंग्य मुझको लाओ, देश बचाओ ! February 3, 2014 / February 4, 2014 by अशोक गौतम | Leave a Comment -अशोक गौतम- आजकल देश में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के लिए मारो मारी चली है। जिसे घर तक में कोई नहीं पूछता वह भी प्रधानमंत्री के पद के लिए दावेदारी सीना ठोंक कर ठोंक रहा है, भले बंदे के पास सीना हो या न! मित्रों! दावेदारी के इस दौर में मैं भी देश की सेवा […] Read more » satire on politics देश बचाओ ! मुझको लाओ
व्यंग्य दल बदलन के कारने नेता धरा शरीर February 1, 2014 / February 1, 2014 by एम. अफसर खां सागर | 1 Comment on दल बदलन के कारने नेता धरा शरीर -एम. अफसर खां सागर- सियासत क्या बला है और इसके दाव पेंच क्या हैं, इसका सतही इल्म न मुझे आज तक हुआ और न मैने कभी जानने की कोशिश की। अगर यूं समझें कि सियासी के हल्के में फिसड्डी हूं तो गलत न होगा। मगर सियासत ऐसी बला है कि आप इससे लाख पीछा छुड़ाएं मगर छूटने […] Read more » satire on politics दल बदलन के कारने नेता धरा शरीर
व्यंग्य प्यारी दीदी, सॉरी दीदी, मान जाओ! September 21, 2012 / September 21, 2012 by अशोक गौतम | Leave a Comment अशोक गौतम अरी ओ ममता दीदी! तुमने तो हद कर दी! हमें औरों से तो ये उम्मीद थी पर कम से कम तुमसे ये उम्मीद न थी। अब हमें मंझधार में किसके सहारे छोड़ दिया री दीदी! ऐसे तो अपने भार्इ के साथ दुश्मन भी नहीं करता। तुम्हारे लिए हमने क्या क्या नहीं किया दीदी? […] Read more » satire on politics