धर्म-अध्यात्म सत्यार्थप्रकाश का अध्ययन अविद्या दूर कर ज्ञानी बनाता है October 20, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment दीपावली एवं ऋषि दयानन्द बलिदान दिवस पर मनमोहन कुमार आर्य दीपावली का पर्व कार्तिक अमावस्या की रात्रि के अन्धकार को दीपमाला जलाकर, अन्धकार को किंचित मात्रा में दूर कर मनाया जाता है। जो लोग इस दीपमाला का इतना ही महत्व मानते हैं वह दीपावली का अधूरा ज्ञान रखते हैं। दीपक सीमित मात्रा में अन्धकार दूर […] Read more » Satyarthaprakash सत्यार्थप्रकाश
धर्म-अध्यात्म मेरा धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश June 23, 2017 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on मेरा धर्मग्रन्थ सत्यार्थप्रकाश मनुष्य जब जन्म लेता है तो उसे किसी भाषा का ज्ञान नहीं होता है, अन्य विषयों के ज्ञान होने का तो प्रश्न ही नही होता। सबसे पहले वह अपनी माता से उसकी भाषा, मातृभाषा, को सीखता है जिसे आरम्भिक जीवन के दो से पांच वर्ष तो नयूनतम लग ही जाते हैं। इसके बाद वह भाषा ज्ञान को व्याकरण की सहायता से जानकर उस पर धीरे धीरे अधिकार करना आरम्भ करता है। भाषा सीख लेने पर वह व्यक्ति उस भाषा की किसी भी पुस्तक को जानकर उसका अध्ययन कर सकता है। संसार में मिथ्या ज्ञान व सद्ज्ञान दोनों प्रकार के ग्रन्थ विद्यमान हैं। मिथ्या ज्ञान की पुस्तकें, भले ही वह धार्मिक हां या अन्य, उसे असत्य व जीवन के लक्ष्य से दूर कर अशुभ कर्म वा पाप की ओर ले जाती हैं। Read more » Featured Satyarthaprakash सत्यार्थप्रकाश सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का उद्देश्य