कहानी साहित्य पांच रुपये February 16, 2016 by विजय कुमार | 3 Comments on पांच रुपये नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार सर विद्यासागर नयपाल के बारे में मैंने सुना है कि वे जहां भी जाते हैं, वहां के आंतरिक भागों की यात्रा प्रायः रेलगाड़ी में एक सामान्य व्यक्ति की तरह करते हैं। उनका मानना है कि आम जनजीवन को जानने और समझने का यह सबसे अच्छा तरीका है। मैं भी इसका समर्थक […] Read more » Featured story by vijay kumar पांच रुपये
व्यंग्य सदाखुश बाबू January 10, 2012 / January 10, 2012 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार शर्मा जी में यों तो कई विशेषताएं हैं; पर सबसे बड़ी विशेषता है कि वे स्वयं भी खुश रहते हैं और बाकी लोगों को भी खुश रखते हैं। अतः लोग उन्हें सदाखुश बाबू भी कहते हैं। जिस दिन विश्व की जनसंख्या सात अरब हुई, उससे अगले दिन मिले, तो खुशी मानो गिलास से […] Read more » sadakhush babu story by vijay kumar सदाखुश बाबू